तुम कब जाओगे, अतिथि , Chapter -15, Hindi Class-7, SEBA, NCERT, CBSE

तुम कब जाओगे, अतिथि ,



अभ्यास-माला

पाठ से

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पूर्ण वाक्य में दो :

(क) लेखक अतिथि को दिखाकर कैलेंडर की तारीखें क्यों बदल रहे थे?
उत्तर: लेखक अतिथि को यह दिखाने के लिए कैलेंडर की तारीखें बदल रहे थे कि उनके लगातार आतिथ्य का आज चौथा दिन है, ताकि अतिथि को उनके जाने का एहसास हो जाए।

(ख) लेखक तथा उनकी पत्नी ने मेहमान का स्वागत कैसे किया था?
उत्तर: लेखक ने स्नेह-भीगी मुस्कराहट के साथ अतिथि से गले मिलकर और उनकी पत्नी ने सादर नमस्ते करके मेहमान का स्वागत किया था।

(ग) मेहमान के स्वागत में दोपहर के भोजन को कौन-सी गरिमा प्रदान की गई थी?
उत्तर: मेहमान के स्वागत में दूसरे दिन दोपहर के भोजन को ‘लंच’ की गरिमा प्रदान की गई थी।

(घ) तीसरे दिन सुबह अतिथि ने क्या कहा?
उत्तर: तीसरे दिन सुबह अतिथि ने लेखक से कहा, “मैं धोबी को कपड़े देना चाहता हूँ।”

(ङ) सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो जाने पर क्या हुआ?
उत्तर: सत्कार की ऊष्मा समाप्त हो जाने पर लेखक उच्च-मध्यम वर्ग के डिनर से उतरकर खिचड़ी पर आ गए।




2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दो :

(क) मेहमान के आते ही लेखक पर क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर: मेहमान के आते ही लेखक का हृदय किसी अज्ञात आशंका से धड़क उठा और उनके मन में कहीं बटुआ काँप गया।

(ख) मेहमान के स्वागत में रात्रि-भोज को किस प्रकार गरिमापूर्ण बनाया गया था?
उत्तर: मेहमान के सम्मान में रात के भोजन को एकाएक उच्च-मध्यम वर्ग के डिनर में बदल दिया गया था, जिसमें दो सब्ज़ियाँ, रायता और मीठा भी शामिल था।

(ग) लेखक के लिए कौन-सा आघात अप्रत्याशित था और क्यों?
उत्तर: अतिथि का यह कहना कि “मैं धोबी को कपड़े देना चाहता हूँ,” लेखक के लिए अप्रत्याशित आघात था क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि अतिथि शीघ्र लौट जाएगा, परंतु उसके ठहरने की अवधि बढ़ गई।

(घ) लेखक का सौहार्द बोरियत में क्यों बदल गया?
उत्तर: लेखक का सौहार्द बोरियत में इसलिए बदल गया क्योंकि अतिथि के लंबे समय तक रुकने से बातचीत के सारे विषय समाप्त हो गए, और घर का वातावरण नीरस हो गया।

(ङ) अतिथि कब देवता होता है और कब राक्षस हो जाता है?
उत्तर: अतिथि तब तक देवता होता है जब तक वह सत्कार स्वीकार करके शीघ्र लौट जाता है, परंतु जब वह बिना प्रयोजन अधिक समय तक रुकता है और गृहस्थ की कठिनाइयों की अनदेखी करता है, तब वह राक्षस बन जाता है।




3. उत्तर दो :

(क) लेखक ने अतिथि को विदा लेने का संकेत किन-किन उपायों से दिया?
उत्तर: लेखक ने अतिथि को विदा लेने का संकेत निम्न उपायों से दिया –

वे अतिथि के सामने कैलेंडर की तारीखें बदलते रहे ताकि उसे ठहरने के दिनों का आभास हो।

उन्होंने सत्कार के स्तर को धीरे-धीरे घटाया — डिनर से लंच और फिर खिचड़ी तक।

उन्होंने बातचीत बंद कर दी और अपने-अपने काम में लग गए, जिससे संकेत मिल गया कि सौहार्द समाप्त हो गया है।

अंत में लेखक ने स्पष्ट कहा कि “यह तुम्हारे जाने का उच्च समय अर्थात हाईटाइम है” और कहा कि “देवता दर्शन देकर लौट जाता है, देवता और मनुष्य अधिक देर साथ नहीं रहते।”


(ख) अतिथि के अपेक्षा से अधिक रुक जाने पर लेखक के मन में क्या-क्या प्रतिक्रियाएँ हुईं, उन्हें छाँटकर क्रम से लिखो।
उत्तर: अतिथि के अपेक्षा से अधिक रुक जाने पर लेखक के मन में हुई प्रतिक्रियाएँ क्रम से इस प्रकार थीं –

आशा और उत्साह: पहले दिन लेखक को लगा कि अतिथि अगले दिन शानदार मेहमाननवाजी की छाप लेकर चला जाएगा।

पीड़ा को सहना: दूसरे दिन भी अतिथि रुकने पर लेखक ने मन की पीड़ा छिपाकर प्रसन्नता का दिखावा किया।

आघात और आशंका: तीसरे दिन अतिथि द्वारा “धोबी को कपड़े देने” की बात कहने पर लेखक को गहरा आघात लगा और उन्हें लगा कि वह अब जल्दी नहीं जाएगा।

देवता से राक्षस का विचार: इसके बाद लेखक को महसूस हुआ कि अतिथि सदैव देवता नहीं होता, कभी-कभी राक्षस भी बन जाता है।

बोरियत और द्वेष: समय बीतने पर सौहार्द बोरियत में बदल गया और मुस्कराहट गालियों में ढल गई।

अंतिम चेतावनी: लेखक ने अनुभव किया कि उनके धैर्य की सीमा समाप्त हो चुकी है और अब अतिथि के जाने का समय आ गया है।





भाषा-अध्ययन

1. निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार परिवर्तित करो :

(क) हम तुम्हें स्टेशन तक छोड़ने जाएँगे। (नकारात्मक वाक्य)
उत्तर: हम तुम्हें स्टेशन तक नहीं छोड़ने जाएँगे।

(ख) किसी लॉण्ड्री पर दे देते हैं, जल्दी धुल जाएँगे। (प्रश्नवाचक वाक्य)
उत्तर: क्या हम किसी लॉण्ड्री पर दे दें, ताकि जल्दी धुल जाएँगे?

(ग) देवता और मनुष्य अधिक देर साथ नहीं रहते। (सकारात्मक वाक्य)
उत्तर: देवता और मनुष्य कम देर साथ रहते हैं।

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