अमृत वाणी
‘अमृत वाणी’
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🌿 अभ्यास-माला
पाठ से
1. सही कथन के आगे (✔️) और गलत कथन के आगे (✖️) निशान लगाओ :
(क) मधुर वचन औषधि के समान आरामदायक होता है। ✔️
(ख) निंदा करने वाले व्यक्ति से हमें दूर रहना चाहिए। ✖️
(ग) ज्ञानी व्यक्ति अपने लिए धन का संचय करते हैं। ✖️
(घ) हमें अपना दुःख अपने मन में ही छिपाकर रखना चाहिए। ✔️
(ङ) सुई का काम तलवार कर सकती है। ✖️
(च) गरीबों की मदद करने वाले ही सच्चे अर्थ में बड़े व्यक्ति होते हैं। ✔️
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2. पूर्ण वाक्य में उत्तर दो :
(क) संत कबीरदास के आराध्य कौन थे?
उत्तर – संत कबीरदास के आराध्य निर्गुण निराकार राम थे।
(ख) ‘कबीर’ शब्द का अर्थ क्या है?
उत्तर – ‘कबीर’ शब्द का अर्थ है बड़ा, श्रेष्ठ, महान।
(ग) कवि के अनुसार क्या करने पर हमारे जीवन में दुःख कभी नहीं आएगा?
उत्तर – कवि के अनुसार, यदि हम सुख की स्थिति में भी अपने आराध्य का स्मरण करें, तो हमारे जीवन में दुःख कभी नहीं आएगा।
(घ) कवि रहीम का पूरा नाम क्या था?
उत्तर – कवि रहीम का पूरा नाम अब्दुर्रहीम खानखाना था।
(ङ) किनके साथ कवि रहीम की गहरी मित्रता थी?
उत्तर – कवि रहीम की गहरी मित्रता कवि गोस्वामी तुलसीदास से थी।
(च) श्रीकृष्ण ने किसके साथ बचपन की मित्रता निभायी थी?
उत्तर – श्रीकृष्ण ने गरीब ब्राह्मण सुदामा के साथ बचपन की मित्रता निभायी थी।
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3. संक्षेप में उत्तर दो :
(क) बुरे व्यक्ति की खोज में निकलने पर कवि को क्या अनुभव हुआ?
उत्तर – बुरे व्यक्ति की खोज में निकलने पर कवि को यह अनुभव हुआ कि उन्हें एक भी बुरा व्यक्ति नहीं मिला। जब उन्होंने अपने दिल में खोजा, तो पाया कि मुझ जैसा बुरा और कोई नहीं।
(ख) अपने शिष्य को बनाने में गुरु किस प्रकार कुम्हार की भूमिका निभाते हैं?
उत्तर – गुरु कुम्हार की तरह और शिष्य घड़े की तरह होते हैं। गुरु भीतर से सहारा देकर और बाहर धीरे-धीरे प्रहार करते हुए शिष्य को आकार देते हैं तथा उसकी कमियाँ दूर करते हैं।
(ग) साधु की जाति के बारे में पूछने के संदर्भ में कवि ने क्या कहा है?
उत्तर – कवि ने कहा है कि साधु की जाति नहीं, बल्कि उसके ज्ञान के बारे में पूछना चाहिए। जैसे तलवार को रखने वाले म्यान का नहीं, तलवार का मूल्य होता है।
(घ) कवि रहीम ने ऐसा क्यों कहा है कि थोड़े दिनों के लिए आने वाली विपत्ति अच्छी होती है?
उत्तर – कवि रहीम ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि विपत्ति के समय ही सच्चे मित्र और शत्रु की पहचान होती है।
(ङ) कवि के अनुसार हमें मन की व्यथा किसलिए मन में ही छिपाकर रखनी चाहिए?
उत्तर – कवि के अनुसार हमें मन की व्यथा मन में ही छिपाकर रखनी चाहिए, क्योंकि दूसरे व्यक्ति उसे सुनकर केवल इठलाते हैं, उसे बाँट नहीं लेते।
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4. लघु उत्तर दो :
(क) संत कबीरदास का परिचय दो।
उत्तर –
संत कबीरदास हिंदी के एक लोकप्रिय कवि थे।
उन्होंने जनता की भाषा में जनता के लिए कविता की।
वे एक भक्त कवि थे और निर्गुण निराकार राम उनके आराध्य थे।
‘कबीर’ शब्द का अर्थ ‘बड़ा, श्रेष्ठ, महान’ है।
उनका जन्म काशी में 1398 ई. में हुआ और 1518 ई. में मगहर में उनका देहावसान हुआ।
उनकी वाणी अमृतमय है और हमें अच्छी सीख देती है।
(ख) कवि रहीम का परिचय प्रस्तुत करो।
उत्तर –
कवि रहीम का पूरा नाम अब्दुर्रहीम खानखाना था।
उनका जन्म 1556 ई. में हुआ।
वे मुगल सम्राट अकबर के मंत्री बैरम खाँ के पुत्र थे।
वे राजकार्य में निपुण और महान कवि थे।
उनकी मित्रता गोस्वामी तुलसीदास से थी।
वे बहुत दानी थे; कहते हैं कि उन्होंने कवि गंग को एक रचना पर छत्तीस लाख रुपए दिए थे।
उनकी मृत्यु 1638 ई. में हुई।
उनके नीतिपरक दोहे अमृतवाणी के समान हैं।
(ग) निम्नांकित साखी का सरल अर्थ लिखो :
मधुर बचन है औषधि, कटुक बचन है तीर।
स्रवन द्वार है संचरै, सालै सकल शरीर।।
उत्तर – कबीरदास जी कहते हैं कि मधुर वचन औषधि की तरह मन को सुकून देते हैं, जबकि कटु वचन तीर की तरह चोट पहुँचाते हैं। ये कान से भीतर जाकर पूरे शरीर को पीड़ा पहुँचाते हैं।
(घ) निम्नलिखित दोहे को गद्य-रूप दो :
रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि।
जहाँ काम आवै सुई, कहा करै तरवारि।।
उत्तर – रहीम कहते हैं कि बड़े लोगों को देखकर छोटे लोगों को नहीं छोड़ना चाहिए, क्योंकि जहाँ सुई का काम होता है, वहाँ तलवार कुछ नहीं कर सकती।
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5. निम्नांकित दोहों के भावार्थ लिखो :
(क) निंदक नियरे राखिए, आंगन कुटी छवाय।
बिन पानी साबुन बिना, निरमल करै सुभाय।।
भावार्थ – कबीरदास जी कहते हैं कि निंदा करने वाले व्यक्ति को अपने पास रखना चाहिए, क्योंकि वह आपकी कमियाँ बताता है। उनसे सुधार कर हम बिना पानी-साबुन के ही अपने स्वभाव को निर्मल बना सकते हैं।
(ख) रहिमन निज संपति बिना, कोउ न बिपति सहाय।
बिनु पानी ज्यों जलज को, रवि नहिं सकै बचाय।।
भावार्थ – रहीम जी कहते हैं कि विपत्ति के समय अपनी संपत्ति और साधन के बिना कोई सहायक नहीं होता। जैसे बिना पानी के कमल को सूर्य भी नहीं बचा सकता, वैसे ही अपनी क्षमता के बिना बाहरी सहायता व्यर्थ है।
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🌿 भाषा-अध्ययन
1. पाठ में प्रयुक्त तद्भव शब्दों के तत्सम रूप लिखो :
बचन – वचन
स्रवन – श्रवण
सरीर – शरीर
सिष – शिष्य
सुमिरन – स्मरण
बिथा – व्यथा
2. निम्नलिखित शब्दों के विपरीतार्थक शब्द लिखो :
बुरा – अच्छा
साधु – असाधु / दुष्ट
ज्ञान – अज्ञान
निर्मल – मलिन / गंदा
भली – बुरी
गरीब – अमीर
मित्र – शत्रु
