मैं सबसे छोटी होऊँ, Chapter -14
‘मैं सबसे छोटी होऊँ, Chapter -14
अभ्यास-माला (Exercise Garland)
Question 2: आओ, बताएँ :
(क) ‘मैं सबसे छोटी होऊँ’ कविता के जरिए किस इच्छा की बात कही गई है?
उत्तर: कविता के जरिए हमेशा माँ के साथ रहने और कभी भी माँ का स्नेह न खोने की इच्छा की बात कही गई है.
(ख) बच्ची किसका अंचल पकड़कर घूमना चाहती है ?
उत्तर: बच्ची अपनी माँ का अंचल पकड़कर घूमना चाहती है.
(ग) माँ हमारे लिए क्या-क्या करती हैं ?
उत्तर: माँ अपने हाथ से हमें खिलाती हैं, मुख धुलाती हैं, धूल पोंछकर शरीर को सजाती हैं.
Question 3: पूर्ण वाक्य में जवाब दो :
(क) ‘मैं सबसे छोटी होऊँ’ कविता के कवि का नाम क्या है ?
उत्तर: ‘मैं सबसे छोटी होऊँ’ कविता के कवि का नाम सुमित्रानंदन पंत है.
(ख) बड़े होने पर माँ हमारे लिए क्या-क्या नहीं करतीं ?
उत्तर: बड़े होने पर माँ हमारा हाथ पकड़कर दिन-रात हमारे साथ नहीं फिरतीं और हमें सुखद कहानियाँ नहीं सुनातीं.
(ग) बच्ची क्यों सबसे छोटी बनकर रहना चाहती है ?
उत्तर: बच्ची सबसे छोटी बनकर रहना चाहती है ताकि वह हमेशा माँ की गोदी में सोए, माँ के साथ रहे, और माँ का स्नेह न खोए.
(घ) बच्ची को क्यों अनुभव होता है कि माँ उसके साथ छल करती हैं ?
उत्तर: बच्ची को अनुभव होता है कि माँ पहले उसे बड़ा बनाकर (जब वह बच्ची होती है) पीछे छलती है (जब वह बड़ी हो जाती है).
Question 5: खाली जगहों की पूर्ति करो :
मैं सबसे छोटी होऊँ
तेरी गोदी में सोऊँ,
तेरा अंचल पकड़-पकड़कर
फिरूँ सदा माँ ! तेरे साथ,
कभी न छोड़ूँ तेरा हाथ !
Question 6: आओ, सही शब्द चुनकर वाक्यों को पूरा करें :
(क) मैं सबसे छोटी होऊँ।
(ख) नदी बहती है।
(ग) मैं आराम नहीं चाहता।
(घ) यह हमारा देश है।
Question 7: आओ, एक शब्द में बताएँ :
जो कविता लिखती है – कवयित्री
जो सजाया हुआ हो – सज्जित
जिसे स्पृहा न हो – निस्पृह
जिसे भय न हो – निर्भय
Question 9: आओ, एकवचन और बहुवचन के शब्दों को पढ़ें, जानें और लिखें :
लड़का – लड़के
बच्चा – बच्चे
छोटा – छोटे
खिलौना – खिलौने
नारी – नारियाँ
परी – परियाँ
छात्रा – छात्राएँ
माता – माताएँ
Question 11: दोनों शब्दों को जोड़कर नए शब्द बनाओ :
सूर्य + अस्त = सूर्यास्त
अणु + विद्या = अणुविद्या
परम + आत्मा = परमात्मा
सूर्य + उदय = सूर्योदय
विद्या + आलय = विद्यालय
Question 12: आओ, पाठ में आए कुछ शब्दों के अर्थ जानें :
अंचल – आँचल
मात – माता
गात – शरीर
कर – हाथ
निस्पृह – बिना लोभ के
निर्भय – निडर
