‘मणि-कांचन संयोग’ Chapter- 8
‘मणि-कांचन संयोग’ Chapter- 8
(अ) सही विकल्प का चयन करो :
1. धुवाहाता-बेलगुरि नामक पवित्र स्थान कहाँ स्थित है ?
(ख) माजुलि में
2. शंकरदेव के साथ शास्त्रार्थ से पहले माधवदेव थे –
(क) शाक्त
3. सांसारिक जीवन में शंकरदेव और माधवदेव का कैसा संबंध था ?
(ग) मामा-भांजे का
4. शंकरदेव के मुँह से किस ग्रंथ का श्लोक सुनकर माधवदेव निरुत्तर हो गए थे ?
(घ) ‘भागवत’ का
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(ब) किसने किससे कहा, बताओ :
‘माँ को शीघ्र स्वस्थ कर दो।’ — माधवदेव ने देवी गोसानी (मनौती के रूप में) से कहा।
‘बलि चढ़ाना विनाशकारी कार्य है।’ — रामदास ने माधवदेव से कहा।
‘अब तक मैंने कितने ही धर्मशास्त्रों का अध्ययन किया है।’ — माधवदेव ने रामदास (बहनोई) से कहा।
‘वे एक ही बात से तुम्हें निरुत्तर कर देंगे।’ — रामदास ने माधवदेव से कहा।
‘यह दीघल-पुरीया गिरि का पुत्र माधव है।’ — रामदास ने श्रीमंत शंकरदेव से कहा।
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(स) पूर्ण वाक्य में उत्तर दो :
(क) Ans.विश्व का सबसे बड़ा नदी-द्वीप माजुलि महाबाहु ब्रह्मपुत्र की गोद में बसा हुआ है।
(ख) Ans. श्रीमंत शंकरदेव का जीवन-काल ई. 1449 से 1568 ई. तक व्याप्त है।
(ग) Ans.शंकर-माधव का मिलना असम-भूमि के लिए सोने में सुगंध-जैसा साबित हुआ।
(घ)Ans महाशक्ति का आगार ब्रह्मपुत्र अपनी गोद में मामा-भांजे को गुरु-शिष्य बनते देखकर अत्यंत हर्षित हो उठा था।
(ङ)Ans. माधवदेव को शिष्य के रूप में स्वीकार कर लेने के बाद शंकरदेव आनंदमग्न होकर बोले – “तुम्हें पाकर आज मैं पूरा हुआ”।
(च)Ans . पवित्र स्थान धुवाहाता-बेलगुरि में हुए दोनों महापुरुषों (शंकरदेव और माधवदेव) के महामिलन से असम के सांस्कृतिक इतिहास में एक सुनहरे अध्याय का श्रीगणेश हुआ था।
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(द) अति संक्षिप्त उत्तर दो (लगभग 25 शब्दों में) :
(क)Ans. ब्रह्मपुत्र नद ने मामा-भांजे को गुरु-शिष्य बनते देखा और इस महामिलन के उत्साह-रस को बंगाल की खाड़ी से हिंद महासागर तक पहुँचाने के लिए अपनी जल-धारा को आदेश दिया।
(ख) Ans.उन दिनों श्रीमंत शंकरदेव असमीया समाज को तंत्र-मंत्र, बलि-विधान और आडंबरों से मुक्त कर आध्यात्मिक उन्नति के सरल मार्ग पर ले जाने के महान प्रयास में जुटे थे।
(ग) Ans.माधवदेव ने तब मनौती मानी जब उनकी माँ बीमार हुईं। उन्होंने देवी गोसानी को सफेद बकरों का जोड़ा भेंट करने की मनौती मानी थी।
(घ) Ans.माँ के स्वस्थ होने के बाद माधवदेव ने मनौती के अनुसार सफेद बकरों का जोड़ा खरीदने हेतु रामदास को धन दिया और व्यापार के लिए निकल पड़े।
(ङ)Ans. यह बात रामदास ने श्रीमंत शंकरदेव से तब कही थी जब वे माधवदेव को लेकर धुवाहाता-बेलगुरि सत्र में शास्त्रार्थ के लिए पहुँचे थे।
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(ए) संक्षेप में उत्तर दो (लगभग 50 शब्दों में) :
(क)Ans. ‘मणि-कांचन संयोग’ का अर्थ है सोने में सुगंध। यह उपमा शंकर-माधव के महामिलन के लिए उपयुक्त है क्योंकि शंकरदेव “मणि” और माधवदेव “कांचन” के समान थे। दोनों के मिलन से वैष्णव धर्म का प्रचार तेज़ी से फैला और असम की सांस्कृतिक चेतना का नवजागरण हुआ।
(ख)Ans. माधवदेव जब बहनोई रामदास के घर पहुँचे तो माँ को स्वस्थ पाकर देवी के प्रति कृतज्ञ हुए। बाद में उन्होंने मनौती के अनुसार सफेद बकरों का जोड़ा खरीदने हेतु रामदास से अनुरोध किया और धन देकर व्यापार के लिए निकल पड़े।
(ग)Ans. रामदास ने कहा कि बलि-विधान विनाशकारी है, बकरा काटनेवाले को उस लोक में बकरे के हाथों कटना पड़ता है। जीव हत्या व्यर्थ है, इसलिए बलि चढ़ाना पाप है।
(घ) Ans .’भागवत’ के श्लोक का अर्थ है — जैसे वृक्ष की जड़ सींचने से सब अंग तृप्त होते हैं, वैसे ही परब्रह्म कृष्ण की उपासना से सभी देवता संतुष्ट हो जाते हैं।
(ङ) Ans.श्रीमंत शंकरदेव ने असमीया भाषा-साहित्य को समृद्ध किया। उन्होंने ‘कीर्तन-घोषा’, ‘गुणमाला’, ‘भक्ति-प्रदीप’ जैसी रचनाएँ और छह ‘अंकीया नाट’ रचे। उन्होंने अनेक बरगीत भी रचे, जिनमें से लगभग पैंतीस उपलब्ध हैं।
(च) Ans.श्रीश्री माधवदेव की रचनाओं में ‘नामघोषा’, ‘भक्ति रत्नावली’, ‘राजसूय’, ‘जन्मरहस्य’ आदि प्रमुख हैं। उन्होंने कई नाटक और बरगीत भी रचे। उनकी रचनाओं से असमीया समाज आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध हुआ।
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(एफ) सम्यक् उत्तर दो (लगभग 100 शब्दों में) :
(क) Ans.माधवदेव कोचबिहार से लौटते समय उन्हें माँ की बीमारी की खबर मिली। माँ विधवा थीं और बहनोई रामदास के पास रहती थीं। वे अत्यंत चिंतित हो उठे और देवी गोसानी से प्रार्थना करते हुए मनौती मानी कि यदि माँ स्वस्थ हो जाएँ, तो वे उन्हें सफेद बकरों का जोड़ा भेंट करेंगे। जब वे घर पहुँचे, तो माँ धीरे-धीरे स्वस्थ होने लगीं। उन्होंने देवी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की और मनौती पूरी करने की तैयारी की।
(ख)Ans. माँ के स्वस्थ होने के बाद माधवदेव ने रामदास से सफेद बकरों का जोड़ा खरीदने को कहा। रामदास ने बलि का विरोध करते हुए कहा कि जीव हत्या विनाशकारी है और इससे कोई लाभ नहीं होता। उन्होंने माधवदेव से कहा कि यह शास्त्रार्थ गुरु शंकरदेव के ज्ञान से प्रेरित है। इस पर दोनों के बीच बहस छिड़ गई।
(ग)Ans. बलि-विधान को लेकर मतभेद के कारण रामदास ने माधवदेव को गुरु शंकरदेव के पास शास्त्रार्थ के लिए चलने को कहा। माधवदेव ने चुनौती स्वीकार की और दोनों अगले दिन धुवाहाता-बेलगुरि सत्र पहुँचे। वहाँ रामदास ने शंकरदेव से कहा कि माधवदेव उनसे शास्त्रार्थ करने आए हैं।
(घ) शास्त्रार्थ बलि-विधान पर हुआ। शंकरदेव ने ‘भागवत’ का श्लोक उद्धृत कर बताया कि कृष्ण की उपासना से सब देवता संतुष्ट होते हैं। माधवदेव यह तर्क सुनकर निरुत्तर हो गए और शंकरदेव को गुरु मान लिया।
(ङ) Ans.शंकर-माधव का महामिलन असम के सांस्कृतिक इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटना थी। इस मिलन से वैष्णव धर्म को नई दिशा मिली और असमीया संस्कृति समृद्ध हुई। माधवदेव ने गुरु शंकरदेव के साथ मिलकर एकशरण नाम-धर्म के प्रचार-प्रसार में अपना जीवन समर्पित कर दिया।
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(जी) प्रसंग सहित व्याख्या करो (लगभग 100 शब्दों में) :
(क) ‘ऐसी स्थिति में योग्य गुरु शंकर को योग्य शिष्य माधव मिल गए।’
Ans.प्रसंग: यह पंक्ति उस समय की है जब शंकरदेव समाज सुधार और वैष्णव धर्म के प्रचार में लगे थे।
व्याख्या: शंकरदेव एक महान गुरु और धर्म-सुधारक थे। उन्हें एक योग्य शिष्य माधवदेव मिले, जिन्होंने आगे चलकर उनके कार्य को विस्तार दिया। यह मिलन उस युग की आवश्यकता थी, जिसने असमीया समाज को नई दिशा दी।
(ख) ‘उसने इस महामिलन के उमंग-रस को बंगाल की खाड़ी से होकर हिंद महासागर तक पहुँचाने के लिए अपनी लोहित जल-धारा को आदेश दिया था।’
Ans.प्रसंग: यह पंक्ति ब्रह्मपुत्र नदी की आनंदमय प्रतिक्रिया को दर्शाती है जब शंकर-माधव गुरु-शिष्य बने।
व्याख्या: नदी को मानवीय रूप में दिखाया गया है जो इस पवित्र मिलन की खुशी में अपनी जल-धारा से संदेश को दूर-दूर तक फैलाती है। यह प्रतीक है कि इस घटना की कीर्ति सीमाओं से परे फैल गई।
(ग) ‘उत्तर भारतीय समाज में “रामचरितमानस” का आदर जितना है, असमीया समाज में “कीर्तनघोषा-नामघोषा” का भी आदर उतना ही है।’
Ans.प्रसंग: यह पंक्ति शंकरदेव और माधवदेव की रचनाओं की महत्ता दर्शाती है।
व्याख्या: ‘कीर्तनघोषा’ और ‘नामघोषा’ असम में वही स्थान रखती हैं जो ‘रामचरितमानस’ उत्तर भारत में रखती है। दोनों ग्रंथ असमीया समाज के धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन के आधार हैं।
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(एच) भाषा एवं व्याकरण ज्ञान :
(क) एक-एक शब्द के उत्तर
विष्णु का उपासक — वैष्णव
शक्ति का उपासक — शाक्त
शिव का उपासक — शैव
जिसकी कोई तुलना न हो — अतुल्य
संस्कृति से संबंधित — सांस्कृतिक
बहन के पति — बहनोई
जिस स्त्री का पति मर गया हो — विधवा
जो शास्त्र जानता हो — ज्ञानी / शास्त्रज्ञ / शास्त्रार्थी
(ख) प्रत्यय अलग करो
मनौती — मन + ौती
वार्षिक — वर्ष + इक
कदाचित् — कदा + चित्
बुढ़ापा — बूढ़ा + आपा
चचेरा — चाचा + एरा
पूर्वोत्तरी — पूर्वोत्तर + ई
आध्यात्मिक — अध्यात्म + इक
आधारित — आधार + इत
(ग) लिंग स्पष्ट करने वाले वाक्य
महामिलन — पुल्लिंग — शंकर-माधव का महामिलन असम के इतिहास की महत्वपूर्ण घटना था।
उपासना — स्त्रीलिंग — परब्रह्म कृष्ण की उपासना ही जीवों का कल्याण है।
बढ़ोत्तरी — स्त्रीलिंग — उनके कार्य में दिन-दूनी रात-चौगुनी बढ़ोत्तरी हुई।
मोल-भाव — पुल्लिंग — बकरों का मोल-भाव रामदास ने किया था।
विनती — स्त्रीलिंग — उसने गुरुदेव से विनती की।
वाणी — स्त्रीलिंग — गुरु की वाणी सुनकर माधवदेव भावविभोर हो उठे।
तिरोभाव — पुल्लिंग — शंकर गुरु का तिरोभाव 1568 ई. में हुआ था।
संस्कृति — स्त्रीलिंग — असमीया संस्कृति को उन्होंने समृद्ध बनाया।
