छोटा जादूगर ,Chapter – 2
छोटा जादूगर ,Chapter – 2
बोध एवं विचार
1. सही विकल्प का चयन करो:
(क) बाबू जयशंकर प्रसाद का जन्म हुआ था-
उत्तर: इलाहाबाद में
(ख) जयशंकर प्रसाद जी का साहित्यिक जीवन किस नाम से आरंभ हुआ था ?
उत्तर: ‘कलाधर’ नाम से
(ग) प्रसाद जी का देहावसान हुआ-
उत्तर: 1935 ई. में
(घ) कार्निवाल के मैदान में लड़का चुपचाप किनको देख रहा था ?
उत्तर: शरबत पीने वालों को
(ङ) लड़के को जादूगर का कौन-सा खेल अच्छा मालूम हुआ ?
उत्तर: खिलौने पर निशाना लगाना
2. पूर्ण वाक्य में उत्तर दो:
(क) जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित प्रथम कहानी का नाम क्या है?
उत्तर: जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित प्रथम कहानी का नाम ‘ग्राम’ है।
(ख) प्रसाद जी द्वारा विरचित महाकाव्य का नाम बताओ
उत्तर: प्रसाद जी द्वारा विरचित महाकाव्य का नाम ‘कामायनी’ है।
(ग) लड़का जादूगर को क्या समझता था ?
उत्तर: लड़का जादूगर को “बिल्कुल निकम्मा” समझता था।
(घ) लड़का तमाशा देखने परदे में क्यों नहीं गया था ?
उत्तर: लड़का तमाशा देखने परदे में इसलिए नहीं गया था क्योंकि वहाँ टिकट लगता था।
(ङ) श्रीमान ने कितने टिकट खरीद कर लड़के को दिए थे ?
उत्तर: श्रीमान ने बारह टिकट खरीदकर लड़के को दिए थे।
(च) लड़के ने हिंडोले से अपना परिचय किस प्रकार दिया था ?
उत्तर: लड़के ने हिंडोले से “मैं हूँ छोटा जादूगर” कहकर अपना परिचय दिया था।
(छ) बालक (छोटे जादूगर) को किसने बहुत ही शीघ्र चतुर बना दिया था ?
उत्तर: बालक (छोटे जादूगर) को आवश्यकता ने बहुत ही शीघ्र चतुर बना दिया था।
(ज) श्रीमान कलकत्ते में किस अवसर पर की छुट्टी बिता रहे थे ?
उत्तर: श्रीमान कलकत्ते में बड़े दिन (क्रिसमस) के अवसर पर की छुट्टी बिता रहे थे।
(झ) सड़क के किनारे कपड़े पर सजे रंगमंच पर खेल दिखाते समय छोटे जादूगर की वाणी में स्वभावसुलभ प्रसन्नता की तरी क्यों नहीं थी ?
उत्तर: सड़क के किनारे कपड़े पर सजे रंगमंच पर खेल दिखाते समय छोटे जादूगर की वाणी में स्वभावसुलभ प्रसन्नता की तरी इसलिए नहीं थी क्योंकि उसकी माँ ने कहा था कि उसकी घड़ी समीप है।
(ञ) मृत्यु से ठीक पहले छोटे जादूगर की माँ के मुँह से कौन-सा अधूरा शब्द निकला था ?
उत्तर: मृत्यु से ठीक पहले छोटे जादूगर की माँ के मुँह से “बे…” यह अधूरा शब्द निकला था।
3. अति संक्षिप्त उत्तर दो:
(क) बाबू जयशंकर प्रसाद की बहुमुखी प्रतिभा का परिचय किन क्षेत्रों में मिलता है ?
उत्तर: बाबू जयशंकर प्रसाद की बहुमुखी प्रतिभा कविता, नाटक, कहानी, उपन्यास, निबंध और आलोचना के क्षेत्रों में मिलती है। वे इतिहास और पुरातत्व के विद्वान तथा गंभीर चिन्तक भी थे।
(ख) श्रीमान ने छोटे जादूगर को पहली भेंट के दौरान किस रूप में देखा था ?
उत्तर: श्रीमान ने छोटे जादूगर को कार्निवल के मैदान में शरबत पीने वालों को चुपचाप देखते हुए देखा था। उसके गले में फटे कुरते के ऊपर सूत की रस्सी थी और जेब में ताश के पत्ते थे।
(ग) “वहाँ जाकर क्या कीजिएगा?” छोटे जादूगर ने ऐसा कब कहा था ?
उत्तर: छोटे जादूगर ने ऐसा तब कहा था जब लेखक ने उसे तमाशे वाले परदे के भीतर टिकट लगाकर ले जाने की बात कही।
(घ) निशानेबाज के रूप में छोटे जादूगर की कार्य-कुशलता का वर्णन करो।
उत्तर: निशानेबाज के रूप में छोटा जादूगर पक्का निशानेबाज निकला। श्रीमान द्वारा दिए गए बारह टिकटों के खेल में उसका कोई भी गेंद खाली नहीं गया और उसने बारह खिलौनों को बटोर लिया।
(ङ) कलकत्ते के बोटानिकल उद्यान में श्रीमान-श्रीमती को छोटा जादूगर किस रूप में मिला था ?
उत्तर: छोटे जादूगर हाथ में चारखाने की खादी का झोला, साफ जाँघिया और आधी बाँहों का कुरता पहने मिला था। वह श्रीमान और उनकी मंडली को खेल दिखाने आया था।
(च) कलकत्ते के बोटानिकल उद्यान में श्रीमान ने जब छोटे जादूगर को ‘लड़के !’ कहकर संबोधित किया, तो उत्तर में उसने क्या कहा ?
उत्तर: उसने उत्तर में कहा, “छोटा जादूगर कहिए। यही मेरा नाम है। इसी से मेरी जीविका है”।
(छ) “आज तुम्हारा खेल जमा क्यों नहीं?”- इस प्रश्न के उत्तर में छोटे जादूगर ने क्या कहा ?
उत्तर: छोटे जादूगर ने अविचल भाव से कहा, “माँ ने कहा है कि आज तुरन्त चले आना। मेरी घड़ी समीप है”।
4. संक्षिप्त उत्तर दो:
(क) प्रसाद जी की कहानियों की विशेषताओं का उल्लेख करो।
उत्तर: प्रसाद जी की कहानियों में चारित्रिक उदारता, प्रेम, करुणा, त्याग, बलिदान और अतीत के प्रति मोह से युक्त भावमूलक आदर्श की अभिव्यक्ति हुई है। उन्होंने समकालीन समाज की आर्थिक विपन्नता, निरीहता, अन्याय और शोषण को भी चित्रित किया है।
(ख) “क्यों जी, तुमने इसमें क्या देखा?” इस प्रश्न का उत्तर छोटे जादूगर ने किस प्रकार दिया था ?
उत्तर: उसने कहा कि उसने सब देखा- चूड़ी फेंकते हैं, खिलौने पर निशाना लगाते हैं, और तीर से नम्बर छेदते हैं। उसे खिलौने पर निशाना लगाना अच्छा लगा।
(ग) अपने माँ-बाप से संबंधित प्रश्नों के उत्तर में छोटे जादूगर ने क्या कहा था ?
उत्तर: उसने बताया कि बाबूजी जेल में हैं, देश के लिए। माँ बीमार है।
(घ) श्रीमान ने तेरह चौदह वर्ष के छोटे जादूगर को किसलिए आश्चर्य से देखा था ?
उत्तर: उसने तिरस्कार की हँसी के साथ कहा कि वह तमाशा देखने नहीं, बल्कि दिखाने निकला है। माँ के लिए पथ्य खरीदना उसकी जिम्मेदारी थी।
(ङ) श्रीमती के आग्रह पर छोटे जादूगर ने किस प्रकार अपना खेल दिखाया ?
उत्तर: उसने खिलौनों को अभिनेता बनाया, भालू को मनाया, बिल्ली को रूठाया, बंदर को घुड़काया, गुड़िया-गुड्डे का ब्याह किया। ताश के पत्तों को रंग बदलकर और डोरी जोड़कर खेल पूरा किया।
(च) हवड़ा की ओर आते समय छोटे जादूगर और उसकी माँ के साथ श्रीमान की भेंट किस प्रकार हुई थी ?
उत्तर: छोटे जादूगर झोंपड़ी के पास खड़ा था। माँ को अस्पताल वालों ने निकाल दिया था। श्रीमान झोंपड़ी में जाकर बीमार माँ को देखा।
(छ) सड़क के किनारे कपड़े पर सजे रंगमंच पर छोटा जादूगर किस मनःस्थिति में और किस प्रकार खेल दिखा रहा था ?
उत्तर: उसकी मनःस्थिति दुखी थी। माँ मृत्यु के करीब थी। वह दूसरों को हँसाने की कोशिश कर रहा था, पर उसकी वाणी में प्रसन्नता की तरी नहीं थी।
5. सम्यक उत्तर दो:
(क) बाबू जयशंकर प्रसाद की साहित्यिक देन का उल्लेख करो।
उत्तर: उनका आविर्भाव छायावाद-युग में हुआ। उन्होंने कविता, नाटक, कहानी, उपन्यास, निबंध और आलोचना में अतुलनीय योगदान दिया। प्रमुख कृतियाँ ‘कामायनी’, ‘आँसू’, ‘झरना’, ‘लहर’, नाटकों में ‘स्कंदगुप्त’, ‘चंद्रगुप्त’, ‘ध्रुवस्वामिनी’, उपन्यास ‘कंकाल’, ‘तितली’, कहानियाँ ‘छाया’, ‘आकाश-दीप’, ‘इंद्रजाल’। उनकी खड़ीबोली प्रौढ़, प्रांजल, कलात्मक और संस्कृतनिष्ठ रही।
(ख) छोटे जादूगर के मधुर व्यवहार एवं स्वाभिमान पर प्रकाश डालो।
उत्तर: वह अत्यंत विनम्र और मधुर था। उसने टिकट लगाने और मुफ्त सहायता लेने से इनकार किया। शरबत मिलने पर कहा कि पैसे मिलने पर अधिक प्रसन्न होता। अपनी जीविका के लिए ‘छोटा जादूगर’ के नाम से पहचाना।
(ग) छोटे जादूगर की चतुराई और कार्य-कुशलता का वर्णन करो।
उत्तर: तेरह-चौदह वर्ष का बालक चतुर और कार्य-कुशल था। खिलौने पर निशाना लगाना पसंद किया। बारह टिकटों में कोई गेंद खाली नहीं गई। बोटानिकल उद्यान में उपलब्ध खिलौनों से अभिनय किया, ताश के पत्तों को रंग बदला, डोरी जोड़ी। माँ की बीमारी और आर्थिक विपन्नता को ध्यान में रखते हुए खेल दिखाया।
(घ) छोटे जादूगर के देश-प्रेम और मातृ-भक्ति का परिचय दो।
उत्तर: बाबूजी जेल में देश के लिए थे। माँ बीमार होने पर भी खेल दिखाने गया। पैसे कमाकर माँ को पथ्य देगा। सड़क पर खेल दिखाते समय दुखी था, खेल समाप्त कर माँ के पास दौड़ा, अंतिम क्षणों में माँ से लिपटा।
(ङ) छोटे जादूगर की कहानी से तुम्हें कौन-सी प्रेरणा मिलती है ?
उत्तर: कहानी से संघर्ष, स्वाभिमान, कर्तव्य परायणता और मातृ-भक्ति की प्रेरणा मिलती है। विपन्नता के बावजूद स्वावलंबी बनना चाहिए। परिवार की जिम्मेदारी सर्वोपरि है। आवश्यकता ने बालक को चतुर बनाया।
6. सप्रसंग व्याख्या करो:
(क) “मैं उसकी ओर न जाने क्यों आकर्षित हुआ। उसके अभाव में भी संपूर्णता थी।”
उत्तर: लेखक कार्निवल में गरीब लड़के को देखता है। अभाव के बावजूद उसकी गंभीरता, धैर्य और स्वाभिमान उसे संपूर्ण बनाते हैं। इसलिए लेखक उसकी ओर आकर्षित हुआ।
(ख) “श्रीमती की वाणी में वह माँ की सी मिठास थी, जिसके सामने किसी भी लड़के को रोका नहीं जा सकता।”
उत्तर: लेखक अनुभव करता है कि श्रीमतीजी की आवाज़ में मातृसुलभ प्रेम और दयालुता थी। इसका प्रभाव बालक पर नकारात्मक नहीं हो सकता। यही कारण था कि वह खेल दिखाने आया।
भाषा एवं व्याकरण-ज्ञान
1. सरल, मिश्र और संयुक्त वाक्यों को पहचानो:
(क) कार्निवल के मैदान में बिजली जगमगा रही थी। उत्तर: सरल वाक्य
(ख) माँजी बीमार है, इसलिए मैं नहीं गया। उत्तर: संयुक्त वाक्य
(ग) मैं घूमकर पान की दुकान पर आ गया। उत्तर: सरल वाक्य
(घ) माँ ने कहा है कि आज तुरंत चले आना। उत्तर: मिश्र वाक्य
(ङ) मैं भी पीछे था, किंतु स्त्री के मुँह से ‘बे…’ निकलकर रह गया। उत्तर: संयुक्त वाक्य
2. अर्थ लिखकर मुहावरों का प्रयोग करो:
नौ दो ग्यारह होना – भाग जाना। वाक्य: पुलिस को देखते ही चोर नौ दो ग्यारह हो गया।
आँखें बदल जाना – प्रेम या भाव बदल जाना। वाक्य: इनाम मिलते ही दोस्त की आँखें बदल गईं।
घड़ी समीप होना – मृत्यु का समय पास होना। वाक्य: छोटा जादूगर समझ गया था कि माँ की घड़ी समीप है।
दंग रह जाना – आश्चर्यचकित रह जाना। वाक्य: छोटे जादूगर का निशाना देखकर लोग दंग रह गए।
श्रीगणेश होना – आरंभ होना। वाक्य: अच्छे काम का श्रीगणेश बड़ों के आशीर्वाद से करें।
अपने पाँवों पर खड़ा होना – स्वावलंबी बनना। वाक्य: छोटे जादूगर ने कठिन परिस्थितियों में अपने पाँव पर खड़ा होना सीख लिया।
अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारना – जानबूझकर नुकसान करना। वाक्य: अच्छा अवसर मिलने पर उसे ठुकराना अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारना है।
3. लिंग परिवर्तन:
रस्सी – रस्सा
जादूगर – जादूगरनी
श्रीमान – श्रीमती
गुड़िया – गुड्डा
वर – वधू
स्त्री – पुरुष
नायक – नायिका
माली – मालिन
4. लिंग निर्धारित करो:
रुकावट – स्त्रीलिंग
हँसी – स्त्रीलिंग
शरबत – पुल्लिंग
वाणी – स्त्रीलिंग
भीड़ – स्त्रीलिंग
तिरस्कार – पुल्लिंग
निशाना – पुल्लिंग
झील – स्त्रीलिंग
5. वचन परिवर्तन:
खिलौना – खिलौने
आँख – आँखें
दुकान – दुकानें
छात्रा – छात्राएँ
बिल्ली – बिल्लियाँ
साधु – साधु
कहानी – कहानियाँ
