जो बीत गयी, Chapter – 9
जो बीत गयी, Chapter – 9 ,अभ्यासमाला
1. सही विकल्प का चयन करो (Choose the correct option):
(क) कवि हरिवंशराय बच्चन का जन्म हुआ था-
(अ) सन् 1905 में
(आ) सन् 1906 में
(इ) सन् 1907 में
(ई) सन् 1908 में
उत्तर: (इ) सन् 1907 में
(ख) कवि ने इस कविता में बीती बात को भूला कर क्या करने का संदेश दिया है-
(अ) वर्तमान की चिंता
(आ) भविष्य की चिंता
(इ) अतीत की चिंता
(ई) सुख की चिंता
उत्तर: (अ) वर्तमान की चिंता
2. संक्षेप में उत्तर दो (Answer briefly):
(क) अपने प्रिय तारों के टूट जाने पर क्या अंबर कभी शोक मनाता है?
उत्तर: नहीं, अपने प्रिय तारों के टूट जाने पर अंबर (आकाश) कभी भी शोक नहीं मनाता है।
(ख) हमें मधुवन और मदिरालय से क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर: मधुवन (बगीचा) से हमें यह शिक्षा मिलती है कि जिस प्रकार वह अपने सूखे हुए फूलों पर शोर नहीं मचाता, उसी प्रकार हमें भी अपने बीते हुए दुखों को भुलाकर वर्तमान की चिंता करनी चाहिए। मदिरालय (शराब की दुकान) से हमें यह शिक्षा मिलती है कि जिस प्रकार प्यालों के फूट जाने पर वह पश्चात्ताप नहीं करता, उसी प्रकार हमें भी अपने जीवन के दुखद अनुभवों पर शोक न करके जीवन का भरपूर आनंद उठाना चाहिए।
(ग) कवि ने ‘अंबर के आनन’ को देखने की बात क्यों की है?
उत्तर: कवि ने ‘अंबर के आनन’ (आकाश के चेहरे) को देखने की बात इसलिए की है ताकि मनुष्य यह समझ सके कि आकाश के भी कितने ही तारे टूटे हैं और कितने ही प्यारे छूटे हैं, पर फिर भी वह उन पर शोक नहीं मनाता है। कवि ऐसा इसलिए कहते हैं ताकि मनुष्य भी अंबर से सीख लेकर अपने बीते हुए दुखों को भुला दे।
(घ) प्यालों के टूट जाने पर मदिरालय क्यों नहीं पश्चात्ताप करता?
उत्तर: मदिरालय प्यालों के टूट जाने पर पश्चात्ताप नहीं करता क्योंकि प्याले मृदु मिट्टी के बने होते हैं, जो छोटा (लघु) जीवन लेकर आते हैं, और ये तो फूटा ही करते हैं। यह प्रकृति का नियम है, इसलिए मदिरालय उन पर ममता (दया/प्रेम) नहीं करता।
(ङ) मधु के घट और प्यालों से किन लोगों का लगाव होता है?
उत्तर: मधु के घट (शराब से भरे हुए घड़े) और प्यालों से उन लोगों का लगाव होता है, जो मादकता के मारे होते हैं।
(च) ‘जो मादकता के मारे हैं, वे मधु लूटा ही करते हैं।’ इससे कवि क्या कहना चाहते हैं?
उत्तर: इस पंक्ति से कवि यह कहना चाहते हैं कि जो लोग आनंद और मस्ती में डूबे रहते हैं, यानी मादकता (नशा/मस्ती) से परिपूर्ण होते हैं, वे जीवन को उसके असली रूप में स्वीकार करते हैं। वे बीते हुए दुखों पर शोक नहीं मनाते बल्कि वर्तमान में उपलब्ध खुशियों (मधु) का जी भरकर आनंद उठाते हैं और उसे नष्ट होने देते हैं (लूटा करते हैं), क्योंकि वे जानते हैं कि जीवन क्षणभंगुर है और दुःख-सुख आते-जाते रहते हैं।
(छ) उक्त कविता में मानव जीवन की तुलना किन-किन चीजों से की गई है? सोदाहरण उत्तर दो।
उत्तर: उक्त कविता में मानव जीवन की तुलना सितारों और कुसुमों (फूलों) से की गई है। सितारे मनुष्य के जीवन में किसी प्रिय व्यक्ति या इच्छा के प्रतीक हैं जो डूब सकते हैं, जैसे—”जीवन में एक सितारा था, माना, वह बेहद प्यारा था, वह डूब गया तो डूब गया।” कुसुम जीवन की प्रिय वस्तु या संबंध का प्रतीक है, जो सूख सकता है, जैसे—”जीवन में वह था एक कुसुम, थे उस पर नित्य निछावर तुम, वह सूख गया तो सूख गया।”
(ज) इस कविता से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर: इस कविता से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें अपने बीते हुए दुख और हानि को भुला देना चाहिए। हमें शोक मनाकर या पश्चात्ताप करके जीवन के बाकी बचे समय को बर्बाद नहीं करना चाहिए। हमें अपने वर्तमान की चिंता करनी चाहिए और जीवन का भरपूर आनंद उठाना चाहिए।
3. सप्रसंग व्याख्या करो (Explain with reference to the context):
(क) जीवन में एक सितारा था,
माना वह बेहद प्यारा था,
वह डूब गया तो डूब गया,
अंबर के आनन को देखो।
उत्तर:
संदर्भ: ये पंक्तियाँ हरिवंश राय बच्चन द्वारा रचित कविता ‘जो बीत गयी’ से ली गई हैं।
प्रसंग: कवि मनुष्य को यह शिक्षा दे रहे हैं कि जीवन में आने वाली हानि या प्रियजन के वियोग पर शोक नहीं मनाना चाहिए।
व्याख्या: कवि कहते हैं कि यदि तुम्हारे जीवन में कोई अत्यधिक प्यारा (बेहद प्यारा) व्यक्ति या कोई महान सपना/उद्देश्य (सितारा) था और वह अब नष्ट हो चुका है या तुमसे दूर हो चुका है (डूब गया), तो उसे जाने दो। वह हानि हुई तो हुई। इसके लिए शोक मत मनाओ, बल्कि आकाश (अंबर) के चेहरे (आनन) को देखो, जिसने अपने लाखों प्रिय तारों को खोया है, पर वह कभी शोक नहीं मनाता। इसका आशय है कि दुःख को जीवन का एक हिस्सा मानकर स्वीकार करना चाहिए।
(ख) मृदु मिट्टी के हैं बने हुए,
मधु घट फूटा ही करते हैं,
लघु जीवन लेकर आए हैं,
प्याले फूटा ही करते हैं।
उत्तर:
संदर्भ: ये पंक्तियाँ हरिवंश राय बच्चन द्वारा रचित कविता ‘जो बीत गयी’ से ली गई हैं।
प्रसंग: कवि जीवन की क्षणभंगुरता (कम समय के लिए) को मधु के घट और प्यालों के उदाहरण से समझाते हुए कहते हैं कि नष्ट होने वाली चीजों पर पश्चात्ताप करना व्यर्थ है।
व्याख्या: कवि कहते हैं कि शराब से भरे घड़े (मधु घट) और प्याले कोमल (मृदु) मिट्टी के बने होते हैं। ये स्वभावतः भंगुर (टूटने वाले) हैं, इसलिए ये टूटते ही रहते हैं (फूटा ही करते हैं)। ये अपने साथ एक छोटा (लघु) जीवन ही लेकर आए हैं। इन पंक्तियों में, ‘मधु घट’ और ‘प्याले’ मानव जीवन या उसके सुखों के प्रतीक हैं, जो थोड़े समय के लिए ही होते हैं और नष्ट होने के लिए ही बने हैं। इसलिए, इनके टूटने या चले जाने पर पश्चात्ताप नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह जीवन का शाश्वत नियम है।
