जलाशय के किनारे कुहरी थी
ये प्रश्न और उत्तर पाठ “जलाशय के किनारे कुहरी थी” (पाठ-4) से लिए गए हैं।
अभ्यास-माला (Practice Set)
पाठ से (From the Lesson)
1. कविता को ध्यान से पढ़ो और उसमें चित्रित जलाशय के सौन्दर्य का वर्णन करो।
उत्तर: कविता में एक शांत, एकांत और रहस्यमय जलाशय का चित्रण है। जलाशय के किनारे कुहरी (कोहरा) छाई हुई है, और उसे हरे-नीले पत्तों ने घेर रखा है। आम के पेड़ की डाल पानी तक झुकी हुई है, और चारों ओर गहरे अंधकार का डेरा है। किनारे सुनसान हैं, जहाँ जुगनू दल बनाकर चमक रहे हैं। हवा में वन का परिमल (सुगंध) घुला हुआ है, और नारियल के पेड़ क्रम से हिल रहे हैं। ताड़ के पेड़ ऊँचे खड़े होकर सब कुछ ताक रहे हैं। सुबह होने पर यह अंधकार छिप जाता है, और अंत में लहरें उठती हैं, मानो बाहर का तारा छिपकर हृदय में चमकने लगा हो।
2. ‘जलाशय के किनारे कुहरी थी’ कविता का भावार्थ अपने शब्दों में लिखो।
उत्तर: इस कविता में कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ ने रात और भोर के समय जलाशय के किनारे के एकांत और रहस्यात्मक सौंदर्य का वर्णन किया है। रात के समय जलाशय के किनारों पर कोहरा छाया है, चारों ओर घना अंधकार है, और वातावरण शांत है। केवल जुगनू चमक रहे हैं, पपीहा छिपा हुआ पुकार रहा है, और स्यार (सियार/गीदड़) आराम से घूम रहे हैं। हवा में चंदन वृक्ष (मलय) की सुगंध घुली हुई है। जब उजाला होता है, तो रात के तारे छिप जाते हैं। कवि कहते हैं कि भले ही बाहरी अंधकार और रात का तारा चला गया हो, पर इस दृश्य का आनंद मन के भीतर (अंतर में) एक नए तारे की तरह चमकता रहता है।
3. संक्षेप में उत्तर दो:
(क) जलाशय के किनारे घना अंधकार क्यों छाया हुआ था?
उत्तर: जलाशय के किनारे घना अंधकार इसलिए छाया हुआ था क्योंकि कविता में दृश्य रात के समय का है, जहाँ कुहरी (कोहरा) और रात की गहरी छाया फैली हुई थी।
(ख) सुबह प्रकृति में क्या-क्या परिवर्तन होते हैं?
उत्तर: सुबह होने पर (या उजाला होने पर) प्रकृति में यह परिवर्तन होता है कि तारा छिप जाता है।
(ग) कविता में वर्णित पशु-पक्षियों के नाम और उनके कार्यकलापों का उल्लेख करो।
उत्तर: कविता में वर्णित पशु-पक्षी और उनके कार्यकलाप इस प्रकार हैं:
* जुगनू: दल बनाकर यहाँ-वहाँ चमक रहे थे।
* पपीहा: छिपा हुआ पुकार रहा था।
* स्यार (सियार/गीदड़): आराम से विचरते थे (घूमते थे)।
(घ) कविता में कुछ वृक्षों का उल्लेख है। उनके नाम और उपयोगिता बताओ।
उत्तर: कविता में आम, नारियल और ताड़ के पेड़ों का उल्लेख है।
* आम: आम स्वादिष्ट फल है जो विटामिन, खनिज और ऊर्जा का उत्तम स्रोत होता है।
* नारियल: बहुउपयोगी फल (पानी, तेल) और लकड़ी का स्रोत है। यहाँ इसके पेड़ क्रम से हिल रहे हैं।
* ताड़: ऊँचाई के लिए प्रसिद्ध वृक्ष। यहाँ ये खड़े होकर सबको ताक रहे थे (देख रहे थे)।
4. नीचे दिए गए उत्तरों में से एक सही उत्तर चुनो:
(क) आम की डाल कहाँ आई हुई थी?
Ans.(ii) पानी पर
(ख) किसके दल यहाँ-वहाँ चमक रहे थे?
Ans.(i) जुगनूँ के
(ग) लहरें कहाँ उठ रही थीं?
Ans.(ii) जलाशय में
5. पूर्ण वाक्य में उत्तर दो:
(क) कुहासा कहाँ छाया हुआ था?
उत्तर: कुहासा जलाशय के किनारे छाया हुआ था।
(ख) हवा में किसकी सुगंध मिली हुई थी?
उत्तर: हवा में वन के परिमल (यानी चंदन वायु/मलय) की सुगंध मिली हुई थी।
(ग) पेड़ों की ओट में छिपकर कौन गा रहा था?
उत्तर: पेड़ों की ओट में छिपकर पपीहा पुकार रहा था।
(घ) तारे कब छिप गए?
उत्तर: तारे तब छिप गए जब उजाला हो गया।
(ङ) तारा कहाँ चमकने लगा?
उत्तर: तारा अंतर में (हृदय या मन के भीतर) चमकने लगा।
भाषा-अध्ययन (Language Study)
2. निम्नलिखित पंक्तियों में आए शब्दों को गद्यानुरूप क्रम दो:
(क) पपीहा पुकार रहा था छिपा।
उत्तर (गद्यानुरूप क्रम): छिपा पपीहा पुकार रहा था।
(ख) स्यार विचरते थे आराम से।
उत्तर (गद्यानुरूप क्रम): स्यार आराम से विचरते थे (घूमते थे)।
आओ, पाठ में आए कुछ शब्दों के अर्थ जानें (Meanings of Words)
कुहरी – कोहरा, कुहासा
जलाशय – जल से पूर्ण स्थान (जैसे: तालाब, सरोवर, पोखर आदि)
डेरा – रहने का स्थान
जुगनूँ – जुगनी, खद्योत (अपने शरीर से प्रकाश निकालने वाला एक कीड़ा)
परिमल – सुगंध
मलय – हवा, पवन (यहाँ: चंदन वृक्ष की ओर से आने वाली हवा)
दमके – चमकने लगे
ताड़ – ताड़ के पेड़
स्यार – सियार, गीदड़
विचरते थे – घूमते थे
लहर – तरंग
ताक रहे थे – देख रहे थे
