मेरा नया बचपन’ (पाठ-13), Class 8, SEBA,

मेरा नया बचपन’ (पाठ-13)

‘मेरा नया बचपन’ (पाठ-13) की अभ्यास-माला के प्रश्न और उत्तर दिए गए हैं:
पाठ से: (Page 99)
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो:
(क) बचपन में ऐसी कौन-सी विशेषता होती है, जिसकी बार-बार याद आती है?
Ans. बचपन की सबसे बड़ी विशेषता चिंता-रहित होकर खेलना-खाना, निर्भय और स्वच्छंद घूमना है। बचपन का यह अतुलित आनंद ही वह विशेषता है जिसकी कवयित्री को बार-बार याद आती है।
(ख) कवयित्री क्यों चाहती हैं कि उनका बचपन फिर से लौट आए?
Ans. कवयित्री इसलिए चाहती हैं कि उनका बचपन फिर से लौट आए ताकि वह अपने जीवन की सबसे मस्त खुशी को दोबारा पा सकें। वह वर्तमान की व्याकुल व्यथा और मन के संताप को मिटाने वाली बचपन की निर्मल शांति और प्राकृत विश्रांति (स्वाभाविक विश्राम) को फिर से अनुभव करना चाहती हैं।
(ग) ‘वह प्यारा जीवन निष्पाप’ का अर्थ स्पष्ट करो।
Ans. ‘वह प्यारा जीवन निष्पाप’ का अर्थ है बचपन का भोला-भाला और निर्दोष जीवन। बचपन में मन में किसी के प्रति कोई द्वेष, छल या पाप की भावना नहीं होती। यह जीवन हर तरह की बुराइयों और विकारों से मुक्त होता है, इसलिए यह सबसे प्यारा और पवित्र होता है।
(घ) ‘मेरा नया बचपन’ कविता के प्रतिपाद्य को स्पष्ट करो।
Ans. ‘मेरा नया बचपन’ कविता का प्रतिपाद्य मातृत्व में बचपन की पुनरावृत्ति है। कवयित्री अपने खोए हुए, चिंता-मुक्त बचपन को अपनी बेटी के रूप में वापस पाती हैं। बेटी की भोली-सी मधुर सरलता और मंजुल मूर्ति (सुंदर रूप) को देखकर उन्हें नव-जीवन प्राप्त होता है। इस प्रकार, यह कविता बचपन की स्मृतियों, मातृत्व के प्रेम और जीवन के आनंद को व्यक्त करती है।
पाठ से: (Page 99-100)
2. आशय स्पष्ट करो
(क) बार-बार आती है मुझको, मधुर याद बचपन तेरी। गया ले गया तू जीवन की, सबसे मस्त खुशी मेरी।

Ans. आशय: इन पंक्तियों में कवयित्री अपने बचपन के दिनों को याद करती हैं और उसे संबोधित करती हैं। वह कहती हैं कि उन्हें अपने बचपन की मीठी यादें बार-बार आती हैं। वह बचपन के प्रति यह दुख व्यक्त करती हैं कि जब वह चला गया, तो अपने साथ उनके जीवन की सबसे बड़ी और मस्त खुशियाँ भी ले गया। अब उनके वर्तमान जीवन में वह उन्मुक्त आनंद और चिंता-मुक्ति नहीं है जो बचपन में थी।

(ख) मैं बचपन को बुला रही थी, बोल उठी बिटिया मेरी, नंदन-वन-सी फूल उठी, यह छोटी-सी कुटिया मेरी।
Ans. आशय: कवयित्री अपने मन में खोए हुए बचपन को वापस बुलाने की इच्छा कर रही थीं, लेकिन तभी उनकी बेटी ने उन्हें ‘माँ ओ!’ कहकर पुकारा। बेटी की यह आवाज़ सुनते ही कवयित्री को लगा जैसे उनका बचपन बेटी के रूप में लौट आया है। उनका छोटा-सा घर (कुटिया) खुशियों से भर गया, ठीक वैसे ही जैसे नंदन वन फूलों से खिल उठता है। बेटी ने ही उनके घर को आनंद का धाम बना दिया है।

3. निम्नलिखित कथनों में से सही कथन पर का चिह्न लगाओ: (Page 100)


(क) कवयित्री को बार-बार बचपन की याद आती है, क्योंकि-

(अ) उनकी माँ उन्हें बहुत प्यार करती थीं।

(आ) बचपन अतुलित आनंद का भंडार होता है।

(इ) बचपन में कोई काम नहीं करना पड़ता।
Ans. (आ) बचपन अतुलित आनंद का भंडार होता है।

(ख) बड़े-बड़े मोती से आँसू –

(अ) झूला झूलाते थे।

(आ) जयमाला पहनाते थे।

(इ) आनंद दिलाते थे।
Ans.(इ) आनंद दिलाते थे।

(ग) बचपन में रोने पर कवयित्री की माँ-

(अ) उन्हें गोद में उठाकर खूब प्यार करती थीं।

(आ) उन्हें बिल्ली से डराती थीं।

(इ) उनकी पिटाई कर देती थीं।
Ans.अ) उन्हें गोद में उठाकर खूब प्यार करती थीं।

4. रिक्त स्थानों की पूर्ति करो: (Page 100)
(क) जिसे खोजती थी बरसों से,
अब जाकर उसको पाया,
भाग गया था मुझे छोड़कर,
वह बचपन फिर से आया।
(ख) आ जा बचपन! एक बार फिर,
दे दे अपनी निर्मल शांति,
व्याकुल व्यथा मिटाने वाली,
वह अपनी प्राकृत विश्रांति।
5. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षेप में उत्तर दो: (Page 100-101)

(क) ‘मेरा नया बचपन’ कविता की रचयिता कौन हैं?
Ans.’मेरा नया बचपन’ कविता की रचयिता सुभद्रा कुमारी चौहान हैं।
(ख) कवयित्री किसे बुला रही थीं?
Ans.कवयित्री अपने खोए हुए बचपन को बुला रही थीं।
(ग) कवयित्री को नया जीवन किस रूप में प्राप्त हुआ?
Ans.कवयित्री को नया जीवन उनकी बेटी की मंजुल मूर्ति देखकर प्राप्त हुआ।
(घ) कवयित्री को मिट्टी खिलाने कौन आई थी?
Ans.कवयित्री को मिट्टी खिलाने उनकी बिटिया आई थी।
(ङ) अपनी बिटिया की किस बात से कवयित्री बहुत खुश हुईं?
Ans. कवयित्री अपनी बिटिया के भोलेपन और प्रेम से बहुत खुश हुईं, जब वह मिट्टी (जो मुँह में और हाथ में थी) कवयित्री को खिलाने आई और कहा: “माँ खाओ”।
(च) कवयित्री के पास बचपन क्या बनकर आया?
Ans. कवयित्री के पास बचपन बेटी बनकर आया।
(छ) किसकी मंजुल मूर्ति देखकर कवयित्री में नव-जीवन जाग उठा?
Ans. अपनी बिटिया की मंजुल मूर्ति देखकर कवयित्री में नव-जीवन जाग उठा।
(ज) क्या तुम्हें भी बचपन प्रिय है?
यह प्रश्न छात्रों को स्वयं उत्तर देने के लिए है। (उदाहरण के लिए: हाँ, मुझे भी बचपन बहुत प्रिय है क्योंकि यह बिना किसी चिंता के खेलने और खुश रहने का समय होता है।)

पाठ के आस-पास: (Page 101)
1. बचपन का अतुलित आनंद क्या है? विस्तार से बताओ।
Ans. बचपन का अतुलित आनंद का तात्पर्य अत्यंत और अनमोल खुशी से है, जिसकी तुलना किसी और चीज़ से नहीं की जा सकती। यह आनंद मुख्यतः तीन बातों में निहित है:
चिंता-मुक्ति: किसी प्रकार की भविष्य की चिंता या दुख का अभाव होना।
स्वच्छंदता और निर्भयता: किसी रोक-टोक या डर के बिना मनमर्जी से घूमना और खेलना।
मातृत्व का प्रेम: रूठने या रोने पर भी माँ का तुरंत सारा काम छोड़कर आना, दुलारना और आँसू पोंछना।
2. कविता को पढ़ते हुए तुम्हें अपने बचपन की क्या-क्या बातें याद आती हैं? विस्तार से सुनाओ।
यह एक व्यक्तिगत अनुभव पर आधारित प्रश्न है, जिसका उत्तर छात्र स्वयं देंगे।
(संकेत के लिए: माता-पिता या दादा-दादी के साथ खेलने के पल, छोटी-छोटी बातों पर मचल जाना, मिठाई खाने की ज़िद, दोस्तों के साथ शरारतें आदि बातें याद आती होंगी।)**

भाषा-अध्ययन: (Page 101)
1. पर्यायवाची शब्दों की जानकारी:
निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखो:

मधुर – मीठा ,सुरीला
खुशी-आनंद , प्रसन्नता
निर्मल – स्वच्छ , पवित्र
माँ – माता , जननी
मंजुल – सुंदर , मनोहारी
सरलता – सादगी , भोलापन
2. आओ, सारांश लेखन सीखें:
(यह भाग सारांश लेखन की विधि और एक उदाहरण प्रस्तुत करता है। छात्रों को इस विधि का अभ्यास करने के लिए कहा गया है। सारांश का अभ्यास यहाँ दिया गया है):
शीर्षक: “साहित्य का महत्व”
Ans. सारांश:
किसी भी जाति या राष्ट्र का ज्ञान उसके साहित्य में संचित रहता है। हर भाषा का अपना साहित्य होना आवश्यक है। साहित्य ही किसी देश या जाति की ऐतिहासिक, सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक स्थिति का परिचय देता है, जिससे उसकी सभ्यता, संस्कृति और मनोभावों का पता चलता है। जिस जाति में साहित्य का अभाव होता है, वह अस्पृश्य या अपूर्ण सभ्य मानी जाती है। साहित्य की शोभा और मर्यादा उस जाति की क्षमता और सजीवता को दर्शाती है। इसलिए, यदि किसी जाति की शक्ति और सजीवता को प्रत्यक्ष देखना हो, तो वह साहित्य रूपी आईने में ही संभव है।

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