“गोकुल लीला”
1. दोनों पदों में से कौन-सा पद अधिक अच्छा लगा और क्यों?
दूसरा पद अधिक अच्छा लगता है: क्योंकि यह कृष्ण के माखन चुराने, अपने मित्रों को खिलाने और उनकी गोपी से यशोदाजी से शिकायत करने के प्रसंग को दर्शाता है।
कारण: इसमें कृष्ण की माखन चुराने की शरारत और उसके बाद उनके मित्रों के साथ आनंद लेने की बात को सहजता और सरसता के साथ प्रस्तुत किया गया है।
प्रश्न: दूसरे पद को पढ़कर बताओ कि तुम्हारे अनुसार उस समय कृष्ण की उम्र क्या रही होगी?
उत्तर (मार्गदर्शन): सात से आठ वर्ष के करीब: इस पद में कृष्ण छींके में रखे माखन को ऊखल के सहारे चढ़कर चुराते हैं, और सावधानी बरतने पर भी उनके छोटे हाथों से माखन बिखर जाता है। इतनी उम्र तक एक बच्चा अपनी चोरी को अंजाम दे सकता है, माखन को बिखरने से बचाने के लिए सतर्क भी रह सकता है, और दोस्तों को बांट भी सकता है।
प्रश्न: पहले पद में घुटनों के बल चलने वाले कृष्ण का जो वर्णन किया गया है- उसे अपनी हिंदी में प्रस्तुत करो।
उत्तर: शिशु कृष्ण किलकारी मारते हुए नंद के सोने और मणियों से जड़े आँगन में घुटनों के बल चल रहे हैं। वह अपनी परछाईं को देखकर उसे बार-बार हाथों से पकड़ना चाहते हैं। जब वह किलकारी मारकर हँसते हैं तो उनके दो दूध के दाँत बहुत सुंदर लगते हैं, और वह परछाईं में इसी दृश्य को बार-बार देखते हैं। कवि सूरदास कल्पना करते हैं कि सोने-सी चमकने वाली ज़मीन पर कृष्ण के हाथ-पैरों की छाया देखकर ऐसा लगता है, मानो धरती हर कदम पर उनके लिए कमल का आसन सजा रही हो। कृष्ण की यह बाल-अवस्था देखकर माता यशोदा बहुत सुख पाती हैं और बार-बार नंद को बुलाती हैं।
प्रश्न: मक्खन चुराकर भी कृष्ण अपनी चतुराई से कैसे माँ का मन मोह लेता है- उसका वर्णन अपने शब्दों में करो।
उत्तर: माखन चोरी के आरोप पर कृष्ण अपनी माँ यशोदा से कहते हैं, “मैया, मैंने मक्खन नहीं खाया”। वह कहते हैं कि उनके दोस्तों (ग्वाल-बालकों) ने ही मिलकर उनके मुँह पर मक्खन लपेट दिया होगा। फिर वह सफाई देते हैं कि मक्खन के बर्तन तो सिकहर पर बहुत ऊँचे लटकाकर रखे हैं, और उनके नन्हें हाथ भला वहाँ तक कैसे पहुँच सकते हैं। यह कहकर वह चतुराई से मुँह से दही (दधि) पोंछते हैं और दोना (पत्ते का पात्र) पीछे छिपा लेते हैं। बालक की इस भोली-भाली चतुराई और बाल-क्रीड़ा को देखकर माता यशोदा का मन मोहित हो जाता है। वह दंड देने के बजाय मुस्कुराकर अपनी छड़ी फेंक देती हैं और कृष्ण को गले लगा लेती हैं।
5. सही उत्तर में निशान लगाओ:
(क) श्रीकृष्ण घुटनों के बल चलते हुए –
And. (इ) किलकारी कर रहा था
(ख) नंद का आँगन
And.(अ) मणियों से जड़ा हुआ था
(ग) कृष्ण के मुँह पर मक्खन लगा हुआ था, क्योंकि-
And.(अ) ग्वाल बालकों ने उसके मुँह पर मक्खन लगा दिया था। (चोरी से बचने के लिए कृष्ण ने यही सफाई दी थी )
6. उत्तर दो:
(क) नन्द के आँगन में कृष्ण किसका प्रतिबिंब पकड़ने के लिए दौड़ता था?
उत्तर: कृष्ण नंद के आँगन में अपनी ही छाया (परछाईं) का प्रतिबिंब पकड़ने के लिए दौड़ता था।
(ख) कृष्ण के झूठ पकड़े जाने पर यशोदा ने क्या किया?
उत्तर: कृष्ण की चतुराई और बाल-विनोद को देखकर यशोदा ने छड़ी फेंक दी और मुस्कुरा कर श्याम (कृष्ण) को गले से लगा लिया।
(ग) यशोदा बार-बार नंद को क्यों बुलाती है?
उत्तर: यशोदा बालक कृष्ण की बाल-अवस्था के सुख (किलकारी मारते हुए घुटनों के बल चलने) को देखकर अत्यंत आनंदित होती हैं और इस सुख को बाँटने के लिए बार-बार नंद को बुलाती हैं।
(घ) माता यशोदा बालक कृष्ण को किस तरह दूध पिलाती है?
उत्तर: माता यशोदा बालक कृष्ण को गोद में उठा लेती हैं और आँचल से ढककर उन्हें दूध पिलाती हैं।
(ङ) किलकारी मारकर हँसते हुए कृष्ण का मुख कैसा दिखता है?
उत्तर: किलकारी मारकर हँसते हुए कृष्ण के मुख में उनके दो दूध के दाँत (द्वै दतियाँ) सुशोभित होते हैं।(च) ‘मैया मैं नहिं माखन खायौ’- इसके समर्थन में कृष्ण क्या सफाई देता है?
उत्तर: कृष्ण सफाई देते हैं कि उनके सभी साथी (सखा) मिलकर उनके मुँह पर मक्खन लपेट गए हैं, और यह भी कि मक्खन के बर्तन सिकहर पर बहुत ऊँचे रखे हैं, जहाँ उनके नन्हे हाथ नहीं पहुँच सकते।
(छ) बालक कृष्ण ने माखन चोरी के आरोप से बचने के लिए क्या चालाकी की?
उत्तर: बालक कृष्ण ने माखन चोरी के आरोप से बचने के लिए मुँह से दही पोंछा और मक्खन वाला दोना (पत्तों से बना पात्र) अपनी पीठ के पीछे छिपा लिया।
(ज) क्या बालक कृष्ण माखन चोरी के आरोप से बच पाया? यदि नहीं तो माता यशोदा ने उसके साथ कैसा व्यवहार किया?
उत्तर: नहीं, बालक कृष्ण माखन चोरी के आरोप से बच नहीं पाए, क्योंकि उन्होंने मुँह पोंछने और दोना छिपाने की चालाकी की थी। फिर भी, माता यशोदा ने उन्हें दंड नहीं दिया, बल्कि उनकी बाल-क्रीड़ा से मोहित होकर छड़ी फेंक दी और मुस्कुराकर उन्हें गले से लगा लिया।
(झ) घुटनों के बल चलते हुए बालक कृष्ण के रूप-सौंदर्य का अपने शब्दों में वर्णन करो।
उत्तर:
नंद के मणियों से जड़े सोने के आँगन में, बालक कृष्ण घुटनों के बल किलकारी मारते हुए चलते हैं। वह अपनी ही परछाईं को देखकर उसे पकड़ने के लिए दौड़ते हैं। किलकारी मारकर हँसने पर उनके दो छोटे दूध के दाँत (मोती-से) दिखाई देते हैं, जो बहुत सुंदर लगते हैं। ऐसा लगता है मानो सोने की भूमि पर उनके हाथ-पैरों की छाया, कमल के आसन-सी, उनकी बाल लीला को सम्मान दे रही है।
भाषा-अध्ययन (Language Study)
यह खंड पृष्ठ 79 पर है।
प्रश्न: कुछ शब्द उच्चारण की दृष्टि से इतने मिलते-जुलते हैं कि प्रयोगकर्ता उन्हें एक ही मान बैठते हैं, जबकि उनका अर्थ एक-दूसरे से पूर्णतः भिन्न होता है। उदाहरण के लिए इन्हें देखो: अंश (भाग), अंस (कंधा) क्रीत (खरीदा हुआ), कृत (किया हुआ) तरणि (सूर्य), तरणी (नौका) अब, निम्नलिखित शब्द-युग्मों के अंतर जानने की कोशिश करो और कॉपी में लिखकर शिक्षक/शिक्षिका को दिखाओ: अन्न, अन्य ; अणु, अनु; आदि, आदी; कुल, कूल ; जलद, जलज; नीर, नीड़ ; चिर, चीर; सुत, सूत; बात, वात; दिन, दीन; पानी, पाणि उत्तर (अर्थों में अंतर):
Ans.अन्न (अनाज/दाने), अन्य (दूसरा)
अणु (किसी पदार्थ का छोटा कण), अनु (एक उपसर्ग, जैसे- अनुरूप, अनुवाद, जिसका अर्थ ‘पीछे’ या ‘समान’ होता है)
आदि (आरंभ, वगैरह), आदी (अभ्यस्त, किसी चीज़ की लत होना)
कुल (वंश, समस्त), कूल (किनारा, तट)
जलद (बादल, जल देने वाला), जलज (कमल, जल में जन्म लेने वाला)
नीर (पानी), नीड़ (घोंसला)
चिर (पुराना, बहुत समय तक), चीर (वस्त्र, कपड़ा)
सुत (बेटा), सूत (धागा, सारथी)
बात (कथन, शब्द), वात (हवा, वायु)
दिन (दिवस), दीन (गरीब, दुःखी)
पानी (जल), पाणि (हाथ)
)
प्रश्न: ‘कृष्ण’ शब्द के पाँच पर्यायवाची शब्द लिखो। उत्तर:
कान्हा (कान्ह)
श्याम (स्याम)
गिरिधर
माधव
गोपाल
